Editorial: हरियाणा के स्कूलों में बच्चों को मिलेगा अनुपम पाठ
- By Habib --
- Friday, 26 May, 2023
Children will get unique lesson in schools of Haryana
Children will get unique lesson in schools of Haryana एक जमाना था, जब गर्मियों की छुट्टियों में बच्चे अपने नाना-नानी और तमाम रिश्तेदारों के यहां घूमने जाने के अलावा रोजाना जीवन की वह तमाम चीजें करते और सीखते थे जोकि उस समय प्रचलित थी। हालांकि समय के साथ सब बदलता गया है और अब तो मोबाइल युग में न घर-परिवार में बातचीत का माहौल रह गया है और न ही नाना-नानी या फिर कहीं ओर जाने का। अब सबकुछ स्वकेंद्रित हो गया है और मोबाइल फोन पर ही पूरी दुनिया टिक गई है। बच्चों के हाथ पूरा दिन मोबाइल फोन रहता है और अगर उनसे यह ले लिया जाए तो समस्या खड़ी हो जाती है।
दरअसल, हरियाणा में इस बार गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों को कुछ ऐसा होमवर्क मिलने जा रहा है, जो वाकई में बीते जमाने की याद दिलाएगा। पुरानी पीढ़ी को वे सारी बातें अच्छे से याद हैं, जोकि उसने जी हैं, लेकिन वे बातें आज के बच्चों तक कैसे पहुंचे, इसके लिए जरूरी है कि कोई तो प्रयास करे। अब सरकार की ओर से संभव है, पूरे देश में पहली बार ऐसा प्रयोग हो रहा है, जोकि बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा मौलिक और व्यावहारिक समझ बढ़ाने के लिए उन्हें अनूठा गृहकार्य दिया जा रहा है।
हरियाणा में शिक्षा का माहौल बहुत बदल गया है, एक समय यही कहा जाता था कि इस प्रदेश में सिर्फ एग्रीकल्चर होती है, लेकिन आज यहां से प्रत्येक वर्ष जहां युवा आईएएस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा को पास कर रहे हैं, वहीं सेना के तीनों अंगों की परीक्षाओं समेत मेडिकल और कानून आदि की परीक्षाओं में भी सफलता हासिल कर रहे हैं। प्रदेश में संस्कृति मॉडल स्कूल संचालित हो रहे हैं, वहीं प्रदेश के ग्रामीण स्कूलों का स्वरूप भी बदल चुका है। अब बेटियों को दूर-दराज पढ़ने के लिए नहीं जाना पड़ता। खैर, यह सब अच्छी सोच और सर्वकल्याण की भावना से कार्य करने के चलते संभव हो रहा है।
बच्चे समाज और देश का भविष्य होते हैं। उनका आज, देश के भविष्य की तस्वीर होता है। ऐसे में आज को बेहतर बनाने के लिए सरकार को ही प्रयास करने होंगे, ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि समाज का निर्माण सभी मिलकर करते हैं और सरकार की भूमिका यह हो सकती है, कि शिक्षा के जरिये वह ऐसी अलख जगाए जोकि समाज को सही और आदर्श बनाने में योगदान दे। इस नजरिए से देखने पर मालूम होता है कि सरकार ने गर्मियों की छुट्टियों में इस बार प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को जो होमवर्क दिया है, वह अगर पूरी ईमानदारी से किया गया तो इसके परिणाम काफी अलग होंगे। शिक्षा विभाग ने एक महीने की छुट्टियों को चार वर्गों में बांटा है। इस दौरान बच्चों को छुट्टियों में खाना खाते समय टीवी, मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना है, वहीं एक पूरे दिन के लिए मोबाइल फोन ेसे व्रत रखना है।
एक समय था, जब गर्मियों की छुट्टियों का बच्चे भरपूर इस्तेमाल करते थे। इस दौरान वे जीवन के ऐसे सबक सीखते थे, जोकि उन्हें जीवन की मौलिकता को समझने का अवसर देते थे। आजकल अगर दुकान या मॉल में किसी बच्चे पूछा जाए कि फलां दाल खरीद कर दिखाओ तो वह यही नहीं बता पाएगा कि उस दाल का नाम क्या है। इसी प्रकार आम की गुठलियों को जमीन में दबाने के बाद जब उनसे नन्हे पत्ते निकलते थे तो वह कितनी खुशी देते थे, इसका भी आजकल के बच्चों को शायद ही अहसास हो। अब हरियाणा में बच्चों को अपने गृहकार्य में यह सब करके देखना होगा।
उन्हें मूंग, उड़द, चना दाल को अंकुरित कर रोजाना उसकी फोटो लेनी होगी। इसी प्रकार आम, नीम, जामुन, ईमली, लीची की गुठलियों को उगाना होगा। वहीं तीन पहेलियां याद करेंगे, इन्हें अपनी उम्र के बच्चों से पूछेंगे। फैमिली मेंबर्स के जूतों के नंबर लिखेंगे, यानी उनके संबंध में ज्यादा से ज्यादा भावनात्मक जानकारी एकत्रित करेंगे। बच्चों को परिवार के साथ समय बिताना होगा, दादा-दादी, नाना-नानी के साथ फैमिली ट्री बनाना होगा। उनके साथ खेलना होगा। एक प्रार्थना को याद करना होगा, भजन-शबद या धार्मिक गीत को याद करना होगा। यह भी अपने आप में अनूठी क्रिया होगी, क्योंकि कभी स्कूलों में सुबह की प्रार्थना एक औपचारिकता नहीं अपितु जीवन मूल्यों को प्रदान करने वाले क्षण होते थे।
गौरतलब यह भी है कि उस समय स्कूलों में यौन अपराध नहीं होते थे, समाज में भी ऐसे अपराध कम ही घटते थे। यह सब उन जीवन मूल्यों और शिक्षाओं की वजह से भी संभव था, जोकि हमें हमारे घर-परिवार और समाज से मिलती थी। वास्तव में हरियाणा के शिक्षा विभाग के यह प्रयास अनुपम हैं और उनका भरपूर स्वागत होना चाहिए। बच्चों को हमारी पीढिय़ों के अतीत से बहुत कुछ अच्छा सीखने को मिल सकता है। आज के समय की अपनी चुनौतियां हैं, आज सबकुछ बदल चुका है, लेकिन हमें जीवन में रचनात्मक होने की आवश्यकता है, क्योंकि उसी में जीवन की सफलता निश्चित है।
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